आसमान को छू आया हूँ
गहरी सागर में डूबकर भी जी रहा हूँ
ऐसा लगता है तुझे मिलने से
जहाँ को भूल जाता हूँ
तेरे आने का इंतज़ार करता हूँ
कोई भी कली खिलने से
गहरी सागर में डूबकर भी जी रहा हूँ
ऐसा लगता है तुझे मिलने से
जहाँ को भूल जाता हूँ
तेरे आने का इंतज़ार करता हूँ
कोई भी कली खिलने से
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