क्या नसीब है उस मूरत की, जिसपे आपकी निगाहें पड़ती है
क्या किस्मत है वो आईने की, जिसके सामने आप रोज़ सजती होगी
क्या समा होगा आपका पंखा का, जो आपको ठंडी हवा देने को वो मचलती है
क्या हुआ इस दिल को पता नहीं, शायद आपकी धड़कन से ही ये बजती होगी
क्या किस्मत है वो आईने की, जिसके सामने आप रोज़ सजती होगी
क्या समा होगा आपका पंखा का, जो आपको ठंडी हवा देने को वो मचलती है
क्या हुआ इस दिल को पता नहीं, शायद आपकी धड़कन से ही ये बजती होगी
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