कशिश-ए-मोहब्बत के वास्ते जलते है चराग कई
दुनिया-ए-इश्क़ में मचलते है राग कई
नशा-ए-हुस्न में पीने है शराब कई
जब आपसे हसीन कोई नहीं, तो क्यों न देखू आपके ख्वाब कई
दुनिया-ए-इश्क़ में मचलते है राग कई
नशा-ए-हुस्न में पीने है शराब कई
जब आपसे हसीन कोई नहीं, तो क्यों न देखू आपके ख्वाब कई
No comments:
Post a Comment