अंजान थे आप, जब तक मिले नहीं
मिले तो याद आये हमारे सिलसिले कई
उन जनम के जब हमारी प्यार के गीत बनते थे
अब मिले तो चाह जगी, कि इस जनम में भी न रुके ये सिलसिले कही
मिले तो याद आये हमारे सिलसिले कई
उन जनम के जब हमारी प्यार के गीत बनते थे
अब मिले तो चाह जगी, कि इस जनम में भी न रुके ये सिलसिले कही
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