सोचो अगर यु होता तो कैसा होता
तारों पे अपना घर होता
चाँद अपना छत, अम्बर पे नगर होता
बादलों का ताज और तितलियों का राज होता
कल कुछ भी नहीं सब कुछ आज होता
बच्चों के खयालों से बना जहाँ होता
उनके सरगम से सजा हर साज़ होता
मोतियों से बना जहाज़ होता
किताब पन्नों से नहीं, हीरों से बुना होता
झील पे नाव कि जगह, जुगनुओं का मकान होता
रंगीन नज़ारों से ज़िन्दगी जमा होता
सोचो अगर यु होता तो कैसा होता
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