ख़याल आपके ही आते है, जान ए हुज़ूर
किसी और को जानता भी नहीं, आप जो है इतना मशूर
फिर भी आप रहते है, हमेशा हमसे दूर
जाने अंजाने में किया, तो माफ़ करना मेरा कसूर
कितना भी नफरत करो, एक बात कहना चाहूंगा ज़रूर
आपकी हर अदा और बढ़ाती है आपकी नूर
इसलिए आपको चाहने के लिए हम है मजबूर
किसी और को जानता भी नहीं, आप जो है इतना मशूर
फिर भी आप रहते है, हमेशा हमसे दूर
जाने अंजाने में किया, तो माफ़ करना मेरा कसूर
कितना भी नफरत करो, एक बात कहना चाहूंगा ज़रूर
आपकी हर अदा और बढ़ाती है आपकी नूर
इसलिए आपको चाहने के लिए हम है मजबूर
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