घायल ऐसा हुआ यह दिल जिसका इलाज अभी तक मिला नही
उम्मीद ढलता जा रहा, गुल जो अभी तक खिला नही
फिर भी महफूज़ हूँ अपनी सोच में, कोई शिक्वा या गिला नही
तनहा सहने की आदत जो है, जब कोई साथी या काफिला नही
उम्मीद ढलता जा रहा, गुल जो अभी तक खिला नही
फिर भी महफूज़ हूँ अपनी सोच में, कोई शिक्वा या गिला नही
तनहा सहने की आदत जो है, जब कोई साथी या काफिला नही
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