आदाब आपको ए हुस्न की शराब
आप तो है जैसे खिला हुआ गुलाब
नशा आपका यूँही छडगया
इतनी खूब जो है आपकी हुस्न की शबाब
धड़कन रुक जाती है तेरी आहट से
मदहोशी छा जाती है तेरी मुस्कराहट से
क्या तुम्हे छूते ही मरजऊँगा
जी रहा हूँ ऐसी घबराहट से
कितना भी कहू कम ही होगा
इतनी खूब आप जो है जनाब
आप तो है जैसे खिला हुआ गुलाब
नशा आपका यूँही छडगया
इतनी खूब जो है आपकी हुस्न की शबाब
धड़कन रुक जाती है तेरी आहट से
मदहोशी छा जाती है तेरी मुस्कराहट से
क्या तुम्हे छूते ही मरजऊँगा
जी रहा हूँ ऐसी घबराहट से
कितना भी कहू कम ही होगा
इतनी खूब आप जो है जनाब
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