साया था मेरा यार ज़िन्दगी की चाह में
हमसफ़र को पाऊ में चल पड़ा इसी चाह में
मंज़िल करीब थी पर मैं था तन्हा वहां पर
करू तो क्या करू, अब जी रहा हूँ आह में
हमसफ़र को पाऊ में चल पड़ा इसी चाह में
मंज़िल करीब थी पर मैं था तन्हा वहां पर
करू तो क्या करू, अब जी रहा हूँ आह में
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