ज़ालिम केहता है तुम्हे ज़माना तन्हा जो छोड़ दिया हमें
इल्ज़ाम लगाती है क़त्ल कि, क़त्ल जो किया हमें
पर मैं तो केहता हूँ मरगया मैं कब का
ज़िन्दगी जो बिताया था कुछ पल तेरे साये में
अब कोई कुछ भी कहे, हम आराम करते है
साथ लेकर वो यादें जो तुमने दिया हमें
इल्ज़ाम लगाती है क़त्ल कि, क़त्ल जो किया हमें
पर मैं तो केहता हूँ मरगया मैं कब का
ज़िन्दगी जो बिताया था कुछ पल तेरे साये में
अब कोई कुछ भी कहे, हम आराम करते है
साथ लेकर वो यादें जो तुमने दिया हमें
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