शायर है मेरा नाम, शायरी है मेरा काम
किसी को पसंद आया, तो वही है मेरा इनाम
लाया था अपने साथ लफ़्ज़ों को और न था कोई इंतेज़ाम
मर भी गए तो ग़म नहीं, कर जो दिया अपना काम
किसी को पसंद आया, तो वही है मेरा इनाम
लाया था अपने साथ लफ़्ज़ों को और न था कोई इंतेज़ाम
मर भी गए तो ग़म नहीं, कर जो दिया अपना काम
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