इश्क में खिला हूँ, इश्क में पला हूँ
ढल जाऊंगा तो भी इश्क में
ज़िन्दगी के नकाब उतारा और सजाये भी इश्क में
जितने मिले ग़म, हम हस्ते सहे
क्या करे जब इश्क ही इश्क है मेरी हर अश्क में
ढल जाऊंगा तो भी इश्क में
ज़िन्दगी के नकाब उतारा और सजाये भी इश्क में
जितने मिले ग़म, हम हस्ते सहे
क्या करे जब इश्क ही इश्क है मेरी हर अश्क में
Very nice..:-)
ReplyDeleteThank you Nagini
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