लिखी लिखाई पे गौर न कर
लफ़्ज़ों के मतलब पे गौर न कर
हाल-ए-दिल कुछ यु है तड़पती हुई
आसुओं की नमी पे गौर न कर
गाल नम है, भीगे होठ भी
इस गीलापन का कभी गौर न कर
सुख, चैन खो कर रात भर जो रोया
रोने की वजह का गौर न कर
कर तो कर गौर-ए-मोहब्बत का
वरना ज़िन्दगी या मौत का गौर न कर
लफ़्ज़ों के मतलब पे गौर न कर
हाल-ए-दिल कुछ यु है तड़पती हुई
आसुओं की नमी पे गौर न कर
गाल नम है, भीगे होठ भी
इस गीलापन का कभी गौर न कर
सुख, चैन खो कर रात भर जो रोया
रोने की वजह का गौर न कर
कर तो कर गौर-ए-मोहब्बत का
वरना ज़िन्दगी या मौत का गौर न कर
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