शरमाने कि अदा आप से खूब कोई जानता नहीं
जानता भी हो, तो उसका रहना मैं तो मानता नहीं
चाहत है मेरी इतनी की तुम आओ मेरे साथ
उस दुनिया में जहां हमें कोई पेह्चानता नहीं
जानता भी हो, तो उसका रहना मैं तो मानता नहीं
चाहत है मेरी इतनी की तुम आओ मेरे साथ
उस दुनिया में जहां हमें कोई पेह्चानता नहीं
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