अखियों से आसूं बरस के बरसो बीत गये
जबसे दूर मुझसे मन मीत गये
सुहाग रात के हसीन सपने बो गये
पर न जाने उस रात वो कहा सोगये
जंग कर रहे है थे वो दुश्मनों से
हम भी लड़ रहे थे रोज़ उनके सपनो से
तंग आगयी पर संग की चाह मौजूद है
ज़ंग लग गयी तन को, पर मिटा नहीं उनका वजूद है
वही चौखट पे खड़े है आज,
जहा से कई कदम दोनों आगे बढे थे
मत जाओ करके हम बहुत लड़े थे,
देश के लिए वो जाने के लिए अड़े थे
गए तो गए, पर न खत न खबर उनका
कौन सुने रोना इस बेकल मन का
पढ़ कर वो खत, हमने रब से और सब से पूछा ये कैसी गद्दारी है
लिखा था उस में "मर मिटे है वो, अब उनकी लाश की तलाश जारी है"
जबसे दूर मुझसे मन मीत गये
सुहाग रात के हसीन सपने बो गये
पर न जाने उस रात वो कहा सोगये
जंग कर रहे है थे वो दुश्मनों से
हम भी लड़ रहे थे रोज़ उनके सपनो से
तंग आगयी पर संग की चाह मौजूद है
ज़ंग लग गयी तन को, पर मिटा नहीं उनका वजूद है
वही चौखट पे खड़े है आज,
जहा से कई कदम दोनों आगे बढे थे
मत जाओ करके हम बहुत लड़े थे,
देश के लिए वो जाने के लिए अड़े थे
गए तो गए, पर न खत न खबर उनका
कौन सुने रोना इस बेकल मन का
पढ़ कर वो खत, हमने रब से और सब से पूछा ये कैसी गद्दारी है
लिखा था उस में "मर मिटे है वो, अब उनकी लाश की तलाश जारी है"
Beautifully written 👌
ReplyDelete