Thursday, December 31, 2015

हमारी मुमताज़

न आवाज़ में और न अल्फ़ाज़ में बया कर सकता आपकी अंदाज़ 
नमाज़ ये कर रहा कि तुम बनो हमारी साज़ की हमसाज़ 
नाज़ है मुझे तुम्हे जान कर, पर आज भी  हो तुम मेरे लिये गेहरी राज़
रियाज़ कितना भी करे, कोई पा न सकेंगे इतनी खूब जो है आपकी रिवाज़ 
अल्फ़ाज़ भी हुए ख़तम आपकी तारीफ़ में फिर भी आप हो मेहफ़ूज़
मेहफ़ूज़ तो हम नहीं रहेंगे जब तक आप बनेंगे नहीं हमारी मुमताज़ 

केह नहीं सकता

तेरा जैसा दोस्त मिलना बहुत बड़ी बात है 
तुझे मिलने को बेक़रार हूँ, ऐसा तुमसे मुलाक़ात है 
तेरे बिना एक पल भी बिताना बहुत मुश्किल है 
अब तो तुम्हे मिलना ही मेरी मक्सत है 
न जाने क्या रोक रहा है हमारी मिलान को 
फिर भी तुझसे दूरी सेह नहीं सकता 
महसूस करती होगी तू भी ऐसे ही, ये भी केह नहीं सकता 

इश्क़ की कमाल

जीते है हम तुमसे रूठे मिसाल में
शादी होगयी होगी सुहाग रात भी ख़याल में 
पर रूठे थे कब, हर पल गुज़रता इसी सवाल में 
अब तो मान लो मिलान को और जी लो इश्क़ की कमाल में  

उम्मीद

उम्मीद नहीं मुझे तुमसे कोई सवाल या जवाब 
उम्मीद है तो सिर्फ ये कि हक़ीक़त बने तुम्हे पाने का ख़्वाब 

आप हो हमारे बेग़म

ग़ुलाम हूँ तुम्हारा बादशाह नहीं, पर आप हो हमारे बेग़म 
हर सज़ा कबूल है, अगर इस पैग़ाम से आपको दिया सितम 

बड़ा बनेंगे

केहते थे हम बड़ा बनेंगे, अपनी बातों पे खड़े रहेंगे 
जब वक़्त आया तो गिर गए, पर केहते है आज भी कि हम बड़ा बनेंगे 

शायरी केहते है इसे

काबिल-ए-तारीफ़ हम नहीं बिना तुम्हारे 
तेरी शक्स भी हमने देखा नहीं कभी 
फिर भी लिखता हूँ कुछ युही तुम पे 
शायरी केहते है इसे, यहाँ पर सभी 

Wednesday, December 23, 2015

TRANSFORM YOUR HABITS



AUTHOR: JAMES CLEAR
ORIGINAL LANGUAGE: ENGLISH

A terrific book on understanding and transforming habits.

We are made of our habits, this is true. Period. This book encapsulates how our habits can become better and also choose better habits. From waking up to sleeping our life involves a lot of mundane and routine activities and our thought process runs mostly in attending those habits and fulfilling activities for the day.

This book enhances and makes us understand how we can do the same things better and thus become a better person. This book also gives evaluations and in-depth analysis by picking up general habits as an example.

Overall, I felt very gratifying with this book and I hope to incorporate some good things told in this book. Now, more than ever I look forward to the next year. I am planning to have my daily planner, and task list and goal list ready. Above all, the habits shall be put in the daily planner and I shall heed time accordingly. Let's see how my plan goes.

But yes, this book is a 4/5 and is a recommended, quick read. All those lazing around, get up and get moving with this read.

Wednesday, December 2, 2015

हसीन महल

हूँ नहीं मैं अकबर, आपके लिये ख़ास महल बनाने के लिए 
नाही कोई शाहजहान, ताज महल बनाने के लिए 
पर मैं भी कोई शहनशाह से कम नहीं 
बनाऊंगा हसीन महल एक दिल और ख्वाब में, सिर्फ आपके लिए 

हसीन पैगाम

सोयेगी आप आराम से, थक जो गयी होगी रोज़ का काम से 
ख्वाब सजाओ नींद में अब, कल के हसीन ज़िन्दगी के 
थकान न होने दूंगा तुम्हे , सजाया है कल एक हसीन पैगाम से 

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